संश्लेषण विधि (Synthesis Method ) / एकीकरण विधि (Integration Method) विधि क्या हैं l
संश्लेषण का अर्थ किसी वस्तु के विभिन्न अंशो से प्रारंभ करके संपूर्ण की ओर चलने से होता है। यह विधि विश्लेषण विधि के विपरीत होती है। इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर चला जाता है।
जब कोई समस्या प्रयोज्य के सामने आती है तो सबसे पहले दी गई समस्त सूचनाओं को एकत्र करता है और फिर उसे हल करते हैं।

विश्लेषण व संश्लेषण विधि का प्रयोग एक दूसरे के साथ किया जाता है। इसमें अकेली किसी विधि का कोई महत्व नहीं होता क्योंकि अकेली यह विधि स्मृति स्तर का शिक्षण और अधिगम कराती है।
यदि इसे विश्लेषण विधि के उपरोक्त प्रयोग करें तो यह विधि स्मृति स्तर (mental level ) का शिक्षण अधिगम कराती है। यदि इसे विश्लेषण विधि के उपरोक्त प्रयोग करें तो यह चिंतन स्तर reflective Level ) का शिक्षण कराती हैं।
संश्लेषित विधि के गुण :-
- यह शिक्षण की मनोवैज्ञानिक विधि है।
- अन्य विधियों के अपेक्षा यह विधि सरल, सूक्ष्म व क्रमबद्ध है।
- यह विधि व्यवस्थित विधि है।
- इस विधि द्वारा मंदबुद्धि बच्चों को भी सफलतापूर्वक सिखाया जा सकता है।
- इसमें विद्यार्थियों की निरीक्षण शक्ति का विकास होता है।
- इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर बढ़ते हैं
- इस विधि में ज्यादा सोचने विचारने की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
- इसमें विद्यार्थी कम समय में ज्यादा से ज्यादा ज्ञान सीख सकता है।
संश्लेषण विधि के दोष:-
- इस विधि द्वारा नवीन ज्ञान की खोज संभव नहीं है। क्योंकि इसके द्वारा खोजे गए ज्ञान को ही खोजा जा सकता है।
- इसमें पदों का अनुसरण यांत्रिक विधि द्वारा किया जाता है । जो कि अपने आप में एक कठिन कार्य है।
- संश्लेषण विधि द्वारा विद्यार्थी में तर्क विचार एवं निर्णय शक्ति का विकास सही ढंग से नहीं हो पाता।
- इस विधि द्वारा स्पष्ट रूप से एक ज्ञान प्राप्त नहीं हो पाता ।
- इस विधि द्वारा प्राप्त ज्ञान लंबे समय तक स्थायी नहीं रह पाता।
- यह विधि रटने की क्रिया पर बल देती है जिससे विद्यार्थी अधिक समय तक उस ज्ञान को धारण नहीं कर पाता।
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