प्रयोजना विधि, Prayojna Vidhi, प्रोजेक्ट मेथड, Project Method, UPTET, ctet
यह विधि विद्यालय में बहुत ज्यादा प्रचलित है। प्रयोजना एक उद्देश्यपूर्ण गतिविधि है जिसमें अन्वेषण हो भी सकता है ,नहीं भी हो सकता है। जिसमें अन्वेषण किया जाता है उसे अन्वेषण प्रयोजना विधि कहते हैं।
इस विधि में विद्यालय के अंदर या विद्यालय से बाहर किसी भी एक प्रकरण पर व्यापक रूप से गतिविधि होती है। यह विधि कार्य द्वारा अधिगम तथा जीवन के अधिगम पर आधारित होती है। प्रयोजना में विद्यार्थी सहकार व सहयोग के द्वारा सीखता है।
प्रयोजना में निम्नलिखित सोपान होते हैं :-
- परिस्थिति निर्माण :- शिक्षक विद्यार्थी के रूचि के अनुसार प्रस्तुति निर्माण करता है
- प्रोजेक्ट का चयन :- विद्यार्थी और शिक्षक मिलकर परिस्थिति के लिए योजना बनाते हैं
- क्रियान्वित करना :- विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से योजना को क्रियान्वित करता है
- मूल्यांकन करना :- क्रियान्वित योजना का मूल्यांकन किया जाता है कि वह परिस्थितियों को कितना हल कर सकी है
- रिकॉर्ड रखना :- विद्यार्थियों शिक्षक मिलकर प्रक्रिया का रिकॉर्ड या रिपोर्ट तैयार करते हैं
प्रयोजना विधि के लाभ :-
- विज्ञान व अन्य प्रायोगिक विषयों में यह विधि रुचि उत्पन्न करती है।
- इस विधि के द्वारा अवबोध व सृजनात्मकता का विकास होता है।
- इस विधि में आत्मविश्वास, सहयोग, नेतृत्व तथा संवेदनात्मक स्थायित्व विकास होता है।
- यह विधि स्थूल और शूक्ष्म वैज्ञानिक कौशलों का भी विकास करती है।
- खाली समय का सदुपयोग करने में यह विधि अधिक उपयोगी है।
- इस विधि में से आत्मविश्वास का विकास होता है।
प्रयोजना विधि की सीमाएं :-
- जो व्यक्तिगत रूप से विषय पर प्रयोजना का कार्य करते हैं तब आपस में समन्वय करना कठिन होता है।
- इस विधि के द्वारा शिक्षण में समय अधिक लगता है।
- इस विधि में प्रदर्शन विधि से भी अधिक उपकरणों की आवश्यकता होती है
- यह विधि शिक्षक के लिए बहुत कठिन होती है क्योंकि इसमें शिक्षक को बहुत अधिक परिस्थितियों का निर्माण तथा योजना बनानी पड़ती है और उसको क्रियान्वित करने के लिए भी अधिक प्रयास करना पड़ता है